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१. सत् रमण हो, चित् रमण हो |
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२. काया में है नहीं प्राण प्रभु |
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३. भव की पीड़ा हुई है भारी |
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४. हैं प्रभु तेरी शरण में |
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५. प्रेम रूप है रमण प्रभु का |
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१. सत् रमण हो, चित् रमण हो |
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२. काया में है नहीं प्राण प्रभु |
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३. भव की पीड़ा हुई है भारी |
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४. हैं प्रभु तेरी शरण में |
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५. प्रेम रूप है रमण प्रभु का |
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